Declare animals as legal persons i.e. give them right to live, freedom & safety

DEMANDS

Animal Rights March India (ARMI)

1. To accord personhood status to all animals i.e. to grant animals the right to freedom to live as well as safety.

This implicitly and explicitly implies the need:
a) to put an end to the sexual exploitation of all farmed or other animals (including fish) through artificial insemination for forceful breeding in female animals and forceful ejaculation in male animals.
b) to put an end to the export of live land and marine animals and their flesh.
c) to not promote and not open new slaughterhouses, poultry farms, dairy farms, fish farms, and other factory farms, which exploit and commodify animals.
d) to stop gifting live animal for businesses, and to not promote the growth of the ecologically unsustainable animal agricultural industry.
e) to ban testing of household products, medical products and procedures, and their ingredients on animals and to adopt alternative methods to testing on animals that already exist.
f) to ban the use of all animals in circuses and zoos which would imply to refuse permission to build any new zoos. This also includes prohibiting the breeding of animals that will be put on display for any public entertainment within cages or enclosures within zoos.
Instead, efforts to protect animals in their natural habitat be doubled, including protecting buffer zones and maintaining forests to a level of resilience where they are impervious to the ill effects of climate change.

2. To acknowledge and disseminate knowledge about the cognition of farmed animals and include the place of animals in the ecosystem in school curricula, and include the latest science on animal cognition and the place of animals in the earth’s ecology in school curriculums. To include animal rights topics such as the fundamental Indian philosophy of ahimsa, veganism, ethics and morality, speciesism, existing animal rights law, critical animal study, Holocene extinction, 2012 Cambridge Declaration on Consciousness, hidden truth of animal farming etc. at all levels of education. To modify the current curriculum which portrays animals as commodities as language surrounding animals plays an important role in children’s perception of different animals (linguistic relativity).

3. To revamp the 1960 PCA Act to include all animals and make it strong and effective. To raise awareness in the general public, and educate the law and police departments about existing laws against animal cruelty to ensure implementation and instant and effective action

4. Effort be made to facilitate the growth of nutritious plant-based foods via tax cuts, subsidies and suitable loans for small, micro and medium enterprises venturing into the plant-based food product businesses, and farmer supporting schemes for growing raw materials for the production of alternatives to animal products.

मांगे

भारतीय पशु अधिकार मार्च (ARMI)

१. सभी जानवरों को व्यक्तित्व का दर्जा दिया जाए यानि की जीने और आजादी के साथ-साथ सुरक्षा का अधिकार भी मिलें।

यह मांग स्पष्ट रूप से इन बातों पर प्रकाश डालती है-

क. सभी पालतू या अन्य जानवरों (मछली सहित) के यौन शोषण को समाप्त करना। इसका मतलब मादा पशुओं में बलशाली प्रजनन के लिए कृत्रिम गर्भाधान और नर पशुओं में बलपूर्वक स्खलन पर रोक लगाना।

ख. जिंदा समुद्रीय और ज़मीनी पशु या उनके मांस का बाहरी देशों मे निर्यात (export) को बंद करना।

ग. किसी तरह के बूचड़खाने, पोल्ट्री फार्म, डेयरी फार्म, फिश फार्म या अन्य कोई भी फैक्ट्री फार्म जो जानवरों का शोषण या उनका वस्तुकरण करते हैं उनको ना तो बढ़ावा देना और ना ही नए खुलने देना।

घ. पशुओं को व्यवसाय के लिए उपहार के तौर पर नहीं देना और पशु उद्योग जो कि पारिस्थितिक रूप से अस्थिर है उनके बनने में समर्थन नहीं देना।

ड. घरेलू उत्पादों, चिकित्सा उत्पादों और इनसे सम्बंधित सामग्रीयों का जानवरों पर परीक्षण करने पर प्रतिबंध लगाना और ऐसे तरीकों को अपनाना जो जानवरों के ऊपर परीक्षण करने के विकल्प में मौजूद हैं।

च. जानवरों का चिड़ियाघरों और सर्कसों में इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगाना जो इस बात को पुख्ता करता है कि आगे से न‌ऐ चिड़ियाघर न बनें| और इसमें उन जानवरों के प्रजनन पर रोक लगाना भी शामिल है जो चिड़ियाघरों में सार्वजनिक मनोरंजन के लिए पिंजरों के अंदर डाल दिए जाते हैं।

इसके बजाय, जानवरों को उनके प्राकृतिक आवास में सुरक्षित रखने के प्रयासों को दोगुना किया जाएं, जिसमें बफर ज़ोन की रक्षा करना और जंगलों को लचीलेपन के स्तर तक बनाए रखना है जहां वे जलवायु परिवर्तन के बुरे प्रभावों से अस्पर्शित रहें।

२. पशु उद्योग में उपयोग होने वाले जानवरों कि पीड़ा को स्वीकार किया जाए और इस संज्ञान का प्रसार भी किया जाए, इसके साथ ही पशु-पक्षियों को स्कूलों के पाठ्यक्रम में भी प्रवेश दिया जाए, एवम् जो आधुनिक वैज्ञानिक तथ्य जानवरों से संबंधित है उन्हें और जानवरों का स्थान पृथ्वी के वायुमंडल में क्या है इन्हें स्कूल के‌ पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएं। पशु अधिकार से संबंधित विषय जैसे भारतीय दर्शन अहिंसा पर, विगेनिसम, एथिक्स ऐंड मौरैलेटी, प्रजातिवाद (speciesism), मौजूदा पशु अधिकार कानून, क्रिटिक्‌ल्‌ एनिमल कैस एसटीडी, होलोसीन इकˈस्टिङ्क्शन्, 2012 Cambridge Declaration on Consciousness, पशु उद्योग कि क्रूरता इत्यादि को स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर। वर्तमान शिक्षा प्रणाली में जो जानवरों को वस्तुओं कि तरह चित्रित करती उसमें बदलाव लाना क्युंकि एनिमल को किस भाषा से देखा जाता है वो एहम भुमिका निभातीं है कि बच्चें किस तरिके से दुसरे जानवरों को समझते हैं (linguistic relativity).

३. १९६० पि.सी.ऐ एक्ट में सुधार किया जाएं और उसमें सभी जानवरों को शामिल किया जाए, इसके साथ ही उसे मजबूत एवम् असरदार बनाया जाएं। आम जनमानस में इसके प्रति जागरूकता बढ़ाना और पुलिस विभाग को जानवरों के खिलाफ मौजूदा कानून से अवगत कराना और इनका कार्यान्वयन और त्वरित और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए।

४. ऐसे प्रयास होने चाहिए जो पौष्टिक वनस्पति पदार्थों के विकास में सहायक हो जैसे कर कटौती, सब्सिडी और उपयुक्त ऋण उनके लिए जो छोटे या मध्यम उद्योग लगाकर संयंत्र आधारित खाद्य उत्पाद में जुट रहें हैं या उन किसानों के लिए जो पशु पदार्थ के विकल्प हेतु वनस्पति पदार्थ के लिए कच्चा माल उगा रहे है।

मागण्या

अनिमल‌ राईट्स मार्च इंडिया (ए.आर.एम.आय) (ARMI)

मागणी – पूर्ण आवृत्ती

१. सर्व प्राण्यांना व्यक्तिमत्व दर्जा देणे म्हणजेच – जनावरांना जगण्याचे स्वातंत्र्य तसेच सुरक्षितता देणे.

हे स्पष्टपणे खाली नमूद केले आहे:

अ) मादी प्राण्यांमध्ये जबरदस्तीने पैदास करण्यासाठी आणि नर प्राण्यांमध्ये जबरदस्त उत्सर्ग होण्यासाठी कृत्रिम रेतनाद्वारे (गर्भाधान) सर्व शेतात किंवा इतर प्राण्यांचे (माशासह) लैंगिक शोषण थांबविणे.

ब) थेट जमीन आणि सागरी प्राणी आणि त्यांचे मांस निर्यातीस बंदी करणे.

क) नवीन कत्तलखाने, कुक्कुटपालन, दुग्धशाळा, फिश फार्म आणि इतर फॅक्टरी फार्म, जे जनावरांचे शोषण करतात आणि त्यांची विक्री करतात त्यांना प्रोत्साहन देऊ नये.

ड) व्यवसायासाठी सजीव जनावरांना देणगी देणे थांबविणे आणि पर्यावरणीय नसलेल्या प्राणी कृषी उद्योगाच्या वाढीस

प्रोत्साहन न देणे.

ई) घरगुती उत्पादने, वैद्यकीय उत्पादने आणि कार्यपद्धती आणि त्यांचे घटक प्राण्यांवर तपासणी करण्यास बंदी घालणे आणि आधीपासून अस्तित्त्वात असलेल्या प्राण्यांवर चाचणी घेण्यासाठी पर्यायी पद्धतींचा अवलंब करणे.

फ) सर्कस आणि प्राणिसंग्रहालयात सर्व प्राण्यांच्या वापरावर बंदी घालणे म्हणजे नवीन प्राणीसंग्रहालय बांधण्याची

परवानगी नाकारणे. सार्वजनिक मनोरंजनासाठी पिंजऱ्यातील प्राण्यांचे प्रजनन न करणे.

त्याऐवजी, त्यांच्या नैसर्गिक वस्तीतील प्राण्यांचे संरक्षण करण्याचे प्रयत्न दुप्पट केले जावेत, ज्यात बफर झोनचे संरक्षण

करणे आणि जंगलांची लवचिकता पातळीवर देखभाल करणे समाविष्ट आहे जेथे ते हवामान बदलाच्या दुष्परिणामांबद्दल अभेद्य आहेत.

२. शेतातील प्राण्यांच्या अनुभूतीविषयी ज्ञान आणि त्यांची माहिती प्रसारित करणे आणि शालेय अभ्यासक्रमात

पर्यावरणामधील प्राण्यांच्या जागेचा समावेश करणे आणि शालेय अभ्यासक्रमातील प्राण्यांच्या अनुभूतीवर आणि पृथ्वीच्या पर्यावरणामधील प्राण्यांच्या जागी समाविष्ट करणे. अहिंसाचे मूलभूत भारतीय तत्वज्ञान, वीगनि झम (veganism), आचार आणि नैतिकता, प्रजातीवाद, विद्यमान प्राणी हक्क कायदा, गंभीर प्राणी अभ्यास, होलोसिन विलुप्त होणे, २०१२ चे चैतन्य विषयी केंब्रिज घोषणापत्र, जनावरांच्या शेतीचे छुपे सत्य इत्यादी प्राण्यांच्या हक्कांच्या विषयाचा समावेश करणे. शालेय अभ्यासक्रमात प्राणी हे केवळ आपल्या उपयोगासाठी आहेत अशी भाषा बदलणे कारण प्राण्यांशी संबंधित भाषा मुलांच्या दृष्टिकोनावर परिणाम करते. (Linguistic relativity)

३. सर्व प्राण्यांचा समावेश करण्यासाठी आणि १९६० च्या पीसीए कायद्यात सुधारणा करणे आणि ते मजबूत आणि प्रभावी बनविणे. सामान्य लोकांमध्ये जागरूकता निर्माण करणे आणि अंमलबजावणीची त्वरित आणि प्रभावी कारवाई सुनिश्चित करण्यासाठी प्राणी आणि क्रूरतेविरूद्ध विद्यमान कायद्यांविषयी कायदा आणि पोलिस विभाग यांचे शिक्षण देणे.

४. कर कपात, अनुदान आणि लहान, सूक्ष्म आणि मध्यम वनस्पती- आधारित खाद्यपदार्थ उद्योगांसाठी योग्य कर्जाद्वारे पौष्टिक वनस्पती आधारित खाद्यपदार्थांच्या वाढीस प्रोत्साहन देणे. प्राणी उत्पादनांचे पर्याय बनविण्यासाठी कच्च्या मालाची उगवण करण्या करिता शेतकरी समर्थक योजना ठेवणे.

দাবি

ভারতীয় পশু অধিকার মার্চ (ARMI)

ভারতীয় পশু অধিকার মার্চ (ARMI)

১. সকল পশুদের ব্যক্তিত্বের মর্যাদা প্রদান করা, অর্থাৎ পশুদের বাঁচার স্বাধীনতার সাথে সুরক্ষার অধিকার প্রদান করা।

এটি স্পষ্টভাবে বা পরোক্ষভাবে এই প্রয়োজনগুলি বোঝায়:

ক. সকল পালিত বা অন্যান্য পশুদের (মাছ সহ) যৌন শোষণ বন্ধ করা, অর্থাৎ স্ত্রী পশুদের জোরপূর্বক কৃত্রিম প্রজনন এবং পুরুষ পশুদের জোরপূর্বক বীর্যপাত বন্ধ করা।

খ. জীবিত ভৌমিক ও সামুদ্রিক পশু এবং তাদের মাংস রপ্তানি বন্ধ করা।

গ. কোন কসাইখানা, হাঁস-মুরগির খামার, দুগ্ধ খামার, মাছের খামার বা অন্যান্য ফ্যাক্টরি ফার্ম না খোলা এবং তাদের প্রচার না করা, যারা পশুদের শোষণ করে এবং পণ্য হিসাবে ব্যবহার করে।

ঘ. ব্যবসায় জীবন্ত পশু উপহার করা বন্ধ করা, এবং পরিবেশগতভাবে টেকসই পশু কৃষি বৃদ্ধির প্রচার না করা।

ঙ. পশুদের উপর গৃহস্থালী পণ্য, চিকিৎসা পণ্য ও পদ্ধতি, এবং তাদের উপাদানের পরীক্ষা নিষিদ্ধ করা, এবং এমন বিদ্যমান পদ্ধতি গ্রহণ করা যা পশুদের উপর পরীক্ষা করার বিকল্পে।

চ. সার্কাস ও চিড়িয়াখানায় সকল পশুর ব্যবহার নিষিদ্ধ করা, যা কোনও নতুন চিড়িয়াখানা নির্মাণের অনুমতি না দেওয়াও বোঝায়। জনগণের বিনোদনের জন্য চিড়িয়াখানায় খাঁচা বা ঘেরের মধ্যে প্রদর্শন করার জন্য পশুদের প্রজনন নিষিদ্ধ করাও এর মধ্যে অন্তর্গত।

পরিবর্তে, পশুদের তাদের প্রাকৃতিক আবাসস্থলে রক্ষা করার প্রচেষ্টা দ্বিগুণ করা হোক, যার মধ্যে রয়েছে বাফার জোন রক্ষা করা এবং বনগুলিকে স্থিতিশীলতার স্তরে বজায় রাখা, যেখানে জলবায়ু পরিবর্তনের খারাপ প্রভাব তাদের উপর পড়বে না।

২. খামার করা পশুদের চেতনা সম্বন্ধে তথ্য স্বীকার করা ও প্রচার করা, এবং স্কুলের পাঠ্যক্রমে পৃথিবীতে পশুদের অবস্থান ও পশু চেতনার উপর সাম্প্রতিক বিজ্ঞান অন্তর্ভুক্ত করা। অহিংসার মৌলিক ভারতীয় দর্শন, ভীগানবাদ, নীতিবিদ্যা এবং নৈতিকতা, প্রজাতিবাদ, বিদ্যমান পশু অধিকার আইন, পশুদের উপর বিশ্লেষণাত্বক অধ্যয়ন, হলসীন এক্সটিঙ্কশন, 2012 কেমব্রিজ ডেক্লারেশন অন কনশাসনেস, পশু কৃষির লুকানো নৃশংসতা, ইত্যাদির মতো পশু অধিকারের বিষয় শিক্ষার বিভিন্ন স্তরে অন্তর্ভুক্ত করা। বর্তমান পাঠ্যক্রম যা পশুদের পণ্য হিসাবে চিত্রিত করে, তাকে পরিবর্তন করা, কারণ পশুদের যে ভাষা দিয়ে বোঝা হয় সেটি শিশুদের বিভিন্ন পশুর উপলব্ধিতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে (ভাষাগত আপেক্ষিকতা)।

৩. 1960 PCA অ্যাক্টকে সংশোধন করা যাতে সেটির মধ্যে সকল পশু অন্তর্গত হয়, এবং সেটিকে প্রবল ও কার্যকর করা। জনগণের মধ্যে সচেতনতা বৃদ্ধি করা, এবং আইন ও পুলিশ বিভাগকে পশু নৃশংসতার বিরুদ্ধে বিদ্যমান আইন সম্বন্ধে শেখানো এবং দ্রুত ও কার্যকর পদক্ষেপ নিশ্চিত করা।

৪. উদ্ভিদজাত খাদ্য ব্যবসায় উদ্যোক্তা ক্ষুদ্র, ছোট ও মাঝারি উদ্যোগদের জন্য করে ছাড়, ভর্তুকি ও উপযুক্ত ঋণের মাধ্যমে পুষ্টিকর উদ্ভিদজাত খাদ্যের বৃদ্ধি, এবং পশুজাত খাদ্যের বিকল্প উৎপাদনের অভিপ্রায়ে কৃষকদের শস্য চাষের জন্য কৃষক সহায়ক পরিকল্পনার সুবিধার্থে প্রচেষ্টা করা।